*काहे कि बिहार में चुनाव बा*
*साहित्योदय साहित्य संग्राम के 27 वें अध्याय में कोरोना काल में लापरवाही के ख़िलाफ़ जंग।
साहित्योदय, 1 नवम्बर
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला संगम- साहित्योदय के बैनर तले चल रहे विश्व के सबसे अनूठे लाइव शो साहित्य संग्राम के 27वें एपिसोड में बिहार चुनाव पर जबरदस्त घमासान हुआ। बिहार चुनाव के दौरान कोरोनाकाल की चुनावी रैलियों जिस तरह से कोरोना सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ा रही है उसका जोरदार विरोध हुआ।। प्रख्यात साहित्यकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने कहा कि एक तरफ दुर्गा पूजा और मंदिरों में लोगों को जाने से रोक दिया गया और दूसरी तरह सभी दल लाखों लोगों की भीड़ जुटा रहे हैं। दुर्गा विसर्जन पर मुंगेर में पुलिस गोली चलाती है और वही चुनावी रैली में मूक दर्शक बन कर खड़ी रहती है। प्रख्यात कवि अजय अंजाम ने तंज कसते हुए कहा कि राजनेताओ के लिए सारे कानून व्यर्थ हैं कोरोना उन्हें नहीं बल्कि कोरोना को नेता बीमारी लग जाएगी। उन्होंने बिहार चुनाव पर कई हास्य व्यंग्य सुनाए। अयोध्या से कवि महेश मिसिर ने भी चुनाव पर सुंदर व्यंग्य पढा। पटना के वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानवर्धन मिश्र ने चुनावी रैलियों में उमड़ी भीड़ पर चिंता जताते हुए कहा कि अभी हमें और सतर्क रहने की जरूरत है।
दिल्ली के केके मेडिकल कॉलेज के विभागध्यक्ष डॉ आनन्द शुक्ल ने कोरोना से बचने हेतु योग, बेहतर चिकित्सा और भारतीय संस्कारो पर बल दिया। हैदराबाद से सुदेष्णा सामन्त ने भी बिहार चुनाव पर हास्य व्यंग्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि पंकज प्रियम ने चुनावी रैलियों पर उमड़ रही भीड़ और सरकार के दोहरे मानदंड पर तीखा प्रहार क़िया। कार्यक्रम के अंत में बुद्धिनाथ मिश्र ने अपने प्रसिद्ध गीत जाल फेक रे मछेरे का पाठ किया।
इस कार्यक्रम का साहित्योदय के विभिन्न चैनलों के माध्यम पूरे विश्व में लाइव प्रसारण हुआ जिसे लाखों दर्शकों ने पसंद किया। सभी ने साहित्योदय की पहल की खुले दिल से सराहना करते हुए साहित्योदय की प्रगति की कामना करते हुए कहा कि उन्होंने इस परिवार को दिल मे वसा लिया है और जो कार्य आप कर रहें है वह उसने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कोरोनाकाल जैसी विकट परिस्थिति में साहित्यकार और कलाकारों को मंच प्रदान कर उन्हें जो सम्बल दिया है वह अतुलनीय है। देवी पिछले माह 16 सितम्बर को साहित्योदय के द्वितीय स्थापना दिवस पर भी शानदार लाइव प्रस्तुति दे चुकी हैं। कार्यक्रम का संचालन संस्थापक सह अध्यक्ष कवि पंकज प्रियम ने किया। उन्होंने बताया कि साहित्योदय अपने दर्शकों के लिए हर मौके को ख़ास बनाने की कोशिश करता है। साहित्य, सिनेमा, समाज और सोशल मीडिया में व्याप्त अश्लीलता, दुराचार और गन्दगी के खिलाफ साहित्योदय स्वच्छता अभियान की शुरुआत की है। जिसमें भारत के अलावे कनाडा, अमेरिका, दुबई, इंग्लैंड और आबूधाबी के रचनाकार शामिल हो रहे हैं।।
प्रियम ने बताया कि साहित्योदय हमेशा ज्वलन्त मुद्दों के ख़िलाफ़ महासंग्राम करता है और उसे खत्म करने की साहित्यिक कोशिश कर रहा है। इस कोरोना काल में अबतक डेढ़ हजार से अधिक ऑनलाइन काव्यपाठ, चर्चा, गोष्ठी, एकल ,कवि सम्मेलन, सम्मान, प्रकाशन और विशेष आयोजन कर चुका है जिसे दुनिया के लाखों दर्शक पसंद कर रहे हैं। अभी 11 अक्टूबर *तृतीय झारखंड अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव* में दुनिया के 100 से अधिक देशों के फिल्मी हस्तियों को एक मंच पर लाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। साहित्योदय त्रैमासिक पत्रिका के साथ साथ कई साझा संग्रहों का प्रकाशन हो चुका है जिसका विमोचन आगामी फरवरी मार्च में बाबा धाम देवघर में होगा। उसके पश्चात आयोजन अयोध्या की तैयारी चल रही है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में संजय करुणेश, राकेश तिवारी, सुनील सिंह बादल, सुदेष्ना सामन्त, किशोरी भूषण, डॉ रजनी शर्मा, अनामिका अनु, गीता चौबे, डॉ सुषमा तिवारी, राजश्री राज, सुरेन्द्र इत्यादि की महत्वपूर्ण भूमिका है।