तीज
मनहरण घनाक्षरी
तीज का त्योहार आया
शुभ उपहार लाया
कर के शृंगार सभी
मैं तो सज जाऊंगी
चूड़ियों की खन-खन
पायल की छम-छम
पहन के लाल जोड़ा
बिंदिया लगाऊंगी
तन का शृंगार तू है
जीवन आधार तू है
तेरे रंग में पिया जी
मैं भी रंग जाऊंगी
व्रत, पूजा थाल रहे
मन खुशहाल रहे
आरती करुंगी तेरी
तिलक लगाऊंगी
कर शिव साधना मैं
गौरी की आराधना मैं
गणपति ध्यान कर
आँचल फैलाऊंगी
प्रेम अनुराग रहे
अखंड सुहाग रहे
भोले की मैं पूजा कर
वर माँग लाऊंगी
हर पल साथ रहें
हाथ में भी हाथ रहे
कदम- कदम तेरा
साथ मैं निभाऊंगी
मन की उमंग तू है
साँसों की तरंग तू है
बिन तेरे खुशियों में
ढल नहीं पाऊंगी।।
डॉ सुरिन्दर कौर नीलम
राँची, झारखंड