मैं लौट आऊंँगा इक रोज़ इंतज़ार तो कर
अंतरराष्ट्रीय साहित्य कला संगम साहित्योदय स्थापना महोत्सव के तहत शानदार महफ़िल सजी और देर रात तक गजलों की धारा बहती रही. रीता अदा जी की अध्यक्षता और सोनिया सोनम अक्स की निजामत में महफ़िल सजी जिसमे जनाब अनीस अहमद जी विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे । सोमया इकबाल ने नात से कार्यक्रम की शुरुआत की और खुबसूरत अंदाज़ में पढ़ा और फिर अमेरिका से विनिता तिवारी जी ने अपने तर्रणुम से सब का मन मोह लिया. कतर की प्रख्यात कवयित्री निकिता कुसुम तिवारी ने खुबसूरत काव्यपाठ किया और फिर अनीस अहमद जी ने एक से बढ़ कर एक शेर कहे । सोनिया सोनम अक्स जी ने जिस खूबसूरती से निजामत की उतना ही वेहद अशआर और मुक्तक कत्आ पढ़ें ।पंकज प्रियम जी ने इक राज हमारा है इक राज हमारा है सुंदर गजल और अंत में देश को समर्पित शानदार गीत पढ़ते हुए सभी को धन्यवाद ज्ञापन दिया। महफिल की अध्यक्षता कर रही रीता अदा जी ने सबको सराहते हुए अपने बेहतरीन अंदाज़ में अपने खुबसूरत शेर कहे ।
पंकज प्रियम जी इस कार्यक्रम की रूपरेखा को जमीनी और साथ साथ मंच पर बखूबी निभाया
लगभग दो घटें चले इस कार्यक्रम में दर्शकों की रौनक देखते ही बनी ।
लगातार मिलने वाली दाद से मंच समृद्ध हुआ ।
नींद आती है तो कुछ ख़्वाब हुआ करते हैं
वरना इन आँखों मे सैलाब हुआ करते हैं
आहो-ज़ारी के अलावा भी बहुत सारे ‘अदा’
मकतबे-इश्क़ के आदाब हुआ करते हैं
रीता ‘अदा’
दर्द दिल का सहा नहीं जाता।
नज़्म कहकर कहा नहीं जाता।
बेबसी इस क़दर हुई बेबस,
अश्क़ बनकर बहा नहीं जाता।
~विनीता तिवारी
मेरी आँखों में बसी है ऐसे सूरत आपकी।
ख़्वाब भी करने लगे हैं अब ज़ियारत आपकी।
इसक़दर गुम हो गई हूँ आपके एहसास में,
मेरी साँसों में महकती है हरारत आपकी।
सोनिया सोनम अक्स
मिरी वफ़ा मिरी चाहत का ऐतबार तो कर
उदास रातों की तन्हाईयाँ शुमार तो कर
ज़रूरतों ने मेरे पांँव बांध रक्खे हैं
मैं लौट आऊंँगा इक रोज़ इंतज़ार तो कर
अनीस अहमद ‘आनीस’
आँखों की पुत्लियों में जो तस्वीर क़ैद है
मेरे सुनहरे ख्वाब की ताबीर क़ैद है
ऐलाने जंग है मेरा हर ज़ुल्म के खिलाफ
मत देख कि न्याम में शमशीर क़ैद है
सोमामा इकबाल मऊवी
इक राज़ हमारा है इक राज़ तुम्हारा है.
जो राज़ छुपाया वो अंदाज़ तुम्हारा है.
पंकज प्रियम