हरो माँ कष्ट जीवन का, सकल संताप हर लो माँ।
करूँ आराधना हरदम, सभी तुम पाप हर लो माँ।
सदा खुशियां यहाँ बाँटी, नहीं तोड़ा किसी का दिल-
हुई अनजान गर गलती, तो’ फिर हर श्राप हर लो माँ।।
कवि पंकज प्रियम
सबको महाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। महागौरी सभी का कल्याण करे