जीवन परिचय
नाम- डॉ0 शोभा त्रिपाठी,
संरक्षक- साहित्योदय उत्तर प्रदेश इकाई
अध्यक्ष- विकास दृष्टि, लखनऊ
शिक्षा-एम0 ए0,(हिंदी व कथक नृत्य)
पी0 एचडी0- रंगमंच
सम्प्रति- एसोसिएट प्रोफेसर
प्रकाशित कृतियाँ- 9
दो गीत-संग्रह
दो कहानी संग्रह
एक – नाटक
एक – ग़ज़ल संग्रह
तीन- आलोचनात्मक व साहित्येतिहास
इसके अतिरिक्त देश के लब्धप्रतिष्ठ पत्र-पत्रिकाओं मेंं निरंतर प्रकाशन।
100 से अधिक राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में प्रपत्र
प्रदर्शन-देश व विदेश के अनेक मंचों पर काव्य-पाठ ,व व्याख्यान
रूचियाँ- अध्ययन, लेखन,नृत्य,अभिनय, संगीत
विधाएँ – गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, छंद, दोहे,व्यंग्य, कहानी,उपन्यास आदि सभी विधाओं में ईश्वर कृपा
अवधी से विशेष मोह
प्रसारण- आकाशवाणी, लखनऊ तथा दूरदर्शन के कई चैनल में काव्य पाठ
पुरस्कार/सम्मान-अनेक हिंदी व उर्दू संस्थाओं द्वारा लगभग 30 सम्मान
जीवन का मूलमंत्र –
“परहित सरिस धरम नहिं भाई
ग़ज़ल (1)
सार धर्मों का यही है चल यही वरदान लिक्खें,
प्रेम की भाषा रचें हम साथ में सम्मान लिक्खें ।
ज़हर ही फैला है हिंदू और मुस्लिम करते-करते,
भूलकर हिंदू मुसलमां अब तो हम इंसान लिक्खें।
दुश्मनों को यह दिखा दे एकता की शक्ति क्या है?
और दुनिया के पटल पर शाद हिंदुस्तान लिक्खें।
क्या नज़ारा हो कि तुम उर्दू में गीता लिख रहे हो!
पास में बैठे वहीं हम हिंदी में क़ुरआन लिक्खें।
चल भगाएं साथ मिल ये भूख, बेकारी, गरीबी
इल्म का दीपक जलाकर ज्योति की संतान लिक्खें।
राम, निर्मल, गुरु वचन, धन, सोम, विक्रम और पांडे
वीर अब्दुल के सरीखे हिंद पर कुर्बान लिक्खें ।*
* यह सभी परमवीर चक्र विजेताओं के नाम हैं। (राम स्वामी, परमेश्वरन, निर्मलजीत सिंह, गुरबचन सिंह, धन सिंह थापा, सोमनाथ शर्मा, विक्रम बत्रा, मनोज पांडे अब्दुल हमीद।
ग़ज़ल(2)
जब से अपनी वाणी से मानस की चौपाई गई
आचरण से शील छूटा और सच्चाई गई
कंकरीटों के महल में खेतों का दम घुट गया
सावनी झूलों को गाती आम आमराई गई
बन्ना- बन्नी, मंगली गीतों को डीजे खा गया
ढोल का अंतस फटा और रोके शहनाई गई
रौंद कर सपना बुजुर्गों का खड़ी दीवाल है
तुलसी की पूजा में पनपी घर की अंगनाई गयी
दो दुनी हम चार भूले , बुद्धि को घुन खा गया
सर्च गूगल कर रहा सब अपनी दानाई* गयी
गुड्डे – गुड़िया दफ़्न गुट्टे पब जी जैसे गेम में
छल कबड्डी, दौड़,कुश्ती, सबकी ठकुराई गई
जीने की तरतीब भूली रोग काबिज़ हो गए
शर्बतों से गुड़ गया ,चटनी की अम्लायी गई
डॉ0 शोभा त्रिपाठी
*दानाई- बुद्धिमत्ता